Firbhi, tumhe chahenge

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फिर भी तुम्हे चाहेंगे

विजातीय रिश्ते हमारे सुख के आधार समान है. सबसे ज्यादा सुख और सबसे ज्यादा दुःख देनेवाले ये रिश्ते है. स्त्री-पुरुष के रिश्तों को सूक्ष्म रूप से जाँचकर इन रिश्तों से जुड़े हुए सभी पहलुओं को छूती हुई व्यवहारिक और बिलकुल सरल बातों का संग्रह इस पुस्तक में है. अनुभवों का निचोड़ और रिश्तों की सूक्ष्मता को बुनकर यह किताब लिखी गई है.स्त्री और पुरुष के मानस की स्वभावगत लाक्षणिकताए ईस पुस्तक के प्रत्येक पन्ने में छलक रही है.डॉ. हंसल भचेच ने अपनी व्यस्तता से वक्त निकालकर यह पुस्तक हल्के-फुल्के मिजाज में और मजे से लिखी है. उनके पास अनूठी कथनशैली है.स्त्री-पुरुष के रिश्तों को एक नई दिशा और मजबूती देने की उम्मीद के साथ लिखी गई यह किताब हर स्त्री को अपने जीवन में रहे पुरुष को और हर पुरुष को अपने जीवन में रही स्त्री को देनी चाहिए…..